Thursday, May 5, 2011

हमें तो अपनों ने लूटा,गैरों में कहाँ दम था

हमें तो अपनों ने लूटा,गैरों में कहाँ दम था.

मेरी हड्डी वहाँ टूटी,जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.

मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला,उसका पेट्रोल ख़त्म था.

मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया,

क्योंकि उसका किराया कम था.

मुझे डॉक्टरों ने उठाया,नर्सों में कहाँ दम था.

मुझे जिस बेड पर लेटाया,उसके नीचे बम था.

मुझे तो बम से उड़ाया,गोली में कहाँ दम था.

और मुझे सड़क में दफनाया,

क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था